कौन से ‘भरत’ के नाम हमारे देश का नाम ‘भारत’ पड़ा? क्या कहते हैं पुरातात्त्विक, ऐतिहासिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक प्रमाण?

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8 मार्च/फाल्गुन शुक्ल षष्ठी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
‘भारतनामा’ पुस्तक पर ज्ञानपीठ की दूसरी वेबीनार चर्चा

भारतनामा पुस्तक पर केंद्रित भारतीय ज्ञानपीठ के वाक् कार्यक्रम के अंतर्गत 05 मार्च 2022 को आयोजित दूसरी वेबीनार में चर्चा का विषय था कौन से भरत के नाम पर हमारे देश का नामकरण भारत हुआ। इस विषय में क्या कहते हैं पुरातात्त्विक, ऐतिहासिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक प्रमाण? क्या दुश्यंत शकुन्तला पुत्र भरत वास्तव में हमारे देश के नामकरण का हेतु हैं या फिर प्रामाणिक जानकारियां आदि पुरुष आदिनाथ ऋषभदेव पुत्र भरत को हमारे देश का नामकरण भारत होने का हेतु बताती हैं।

डॉ. मैन्युअल जोजेफ के सन्निध्य में आयोजन की अध्यक्षता डॉ. श्रीनेत्र पांडेय ने की। डॉ. करुणशंकर शुक्ल, डॉ. जितेन्द्र बी शाह, डॉ. रिजवाना जमाल, डॉ. नवीन श्रीवास्तव एवं श्री शैलेन्द्र जैन ने अपने अपने ढंग से प्रस्तुत विषय पर प्रमाण सहित वक्तव्य दिए एवं अनेक नए प्रमाणों की भी जानकारी दी। सभी ने कर्मयुग के अधिष्ठाता ऋषभदेव के पुत्र भरत को ही ऐतिहासिक, साहित्यिक एवं पुरातात्त्विक दृष्टि से दुश्यंत पुत्र से पूर्व होना स्वीकार किया।

डॉ. मैन्युअल जोजेफ ने ऋषभदेव को केशी, आदिनाथ, आदिदेव, शिश्नदेव, महादेव बताते हुए धोलावीरा की खुदाई से प्राप्त दिगम्बर एवं केशी रूप ऋषभदेव की मूर्तियों के अवशेषों के चित्र एवं रिपोर्ट साझा की। डॉ. श्रीनेत्र पांडेय ने कहा कि इस विषय पर और चर्चाएं होनी चाहिए, क्योंकि विषय की महत्ता इतनी अधिक है कि सत्य की प्रतिष्ठा होना आवश्यक है।

संचालन प्रो. जसविंदर कौर बिंद्रा ने किया। पुस्तक की संपादक डॉ. प्रभाकिरण जैन ने कहा कि सत्य को भले ही ढांपा जाए या झुठलाया जाए उसके अवशेष कभी खत्म नहीं होते। भारतनामा को उन्होंने सत्यान्वेषी अध्येताओं एवं विचारकों के लिए विनम्र प्रस्तुति बताया एवं शोध को जारी रखने पर बल दिया। इसके साथ ही उन्होंने सबका आभार व्यक्त किया।

आयोजन में देश दुनिया से जूम के माध्यम से अनेक सत्यान्वेषी श्रोताओं ने चर्चा में भाग लिया। साहू अखिलेश जैन, राकेश मेहता, डॉ. डी.सी.जैन, सुनीता तिवारी, चंद्रकांत पाराशर, आकाश जैन, अदिति माहेश्वरी, कमल कुमार, मनीष रावत, माधुरी काले, सम्मेद कुमार पाटील, प्रभु ठक्कर, राजन वैशम्पायन, साधना द्विवेदी, डॉ. नीलम जैन, शिव विष्णु, डॉ. रवि शर्मा, राहुल जैन, सोनू रावत, राहुल तिवारी, कोइजम किरण कुमार सिंह, डॉ. शैलेन्द्र सिंह एवं अनेक अन्य गणमान्य महानुभावों ने अपनी भागीदारी से आयोजन को सफल बनाया।