आज के ही दिन नर्मदा के तीर नेमावर सिध्दक्षेत्र में बैसाख की गर्मी में दीक्षा की बयार उठी तो मानो ऐसा लगा जैसे हर किसी को शीतलता प्राप्त हो गयी हो।
किसी ने अभी तक एक साथ इतने सारे ब्रह्मचारियों की मुनि दीक्षा नहीं देखी थी। इससे पूर्व आचार्य भगवंत ने अधिकतम एक साथ 10 मुनिराजों को दीक्षा दी थी। इसके बाद अचानक पूज्य गुरुदेव के आशीषों से 23 मुनि महाराजों की दीक्षाएं आज के दिन यानी बैसाख शुक्ला सप्तमी के दिन सम्पन्न हुई जिनके नाम क्रमशः आचार्य भगवन ने
मुनिश्री १०८ वृषभ सागर जी महाराज
वर्तमान में निर्यापक श्रमण मुनि श्री नियम सागर जी महाराज के साथ हीरे हट्टीहोळी, कर्नाटक में विराजमान हैं। संघ के एकमात्र साधु जिनके क्षुल्लक, ऐलक एवं मुनि अवस्था – तीनों में अलग अलग नाम। सदैव आत्मा साधना में लीन मुनिश्री को कोटिशः नमन।
मुनिश्री १०८ अजित सागर जी महाराज
वर्तमान में गैरतगंज, मध्यप्रदेश में विराजमान हैं। धर्म प्रभावना, लम्बी यात्राएं, पंचकल्याणक आदि के माध्यम से निरन्तर जिन शासन की प्रभावना करने वाले मुनिश्री के चरणों में कोटिशः नमन।
मुनिश्री १०८ सम्भव सागर जी महाराज
पूज्य गुरुदेव के चरणों में सिध्दोदय नेमावर में विराजमान हैं। आगम के गूढ़ रहस्यों के ज्ञाता, एवं संघ की व्यवस्थाओं में निपुण मुनि श्री के चरणों में कोटिशः नमन।
मुनिश्री १०८ अभिनंदन सागर जी महाराज
निर्यापक श्रमण मुनि श्री नियम सागर जी महाराज के साथ हीरे हट्टीहोळी, कर्नाटक में विराजमान है। संस्कृत भाषा के जानकार जैन – जैनेत्तर को धर्म का मार्ग बतलाकर दक्षिण भारत में अद्वितीय प्रभावना करने वाले मुनि श्री के चरणों में नमन।
समाधिस्थ मुनिश्री १०८ सुमति सागर जी महाराज
ब्रह्मचारी अवस्था में पूज्य समाधिस्थ क्षमा सागर जी महाराज के संघ में साधना रत। बेहद अस्वस्थता में भी निरंतर रत्नत्रय का पालन कर सल्लेखना करने वाले मुनि श्री के चरणों में कोटिशः नमन।
मुनिश्री १०८ पद्म सागर जी महाराज
मुनि श्री कुम्भराज में विराजमान हैं। शांत स्वभावी, मधुर प्रवचनकार, पाठशाला प्रणेता – ऐसे मुनि श्री के चरणों में कोटिशः नमन।
मुनिश्री १०८ सुपार्श्व सागर जी महाराज
परम् पूज्य निर्यापक श्रमण मुनिश्री नियमसागर जी महाराज के संघस्थ। वर्तमान में पूज्य मुनिश्री पवित्र सागर के संघ में सांगली, महाराष्ट में विराजमान। शांत प्रिय, आत्म चिंतक मुनि श्री के चरणों में कोटिशः नमन।
मुनिश्री १०८ चन्द्रप्रभ सागर जी महाराज
मुनिश्री विनीतसागर जी के साथ सुभाष नगर भीलवाड़ा, राजस्थान में विराजमान। अनेकों उपवास करने वाले, महातपस्वी, शांत, चतुर्थकालीन चर्या के धारी मुनि श्री के चरणों में कोटिशः नमन।
समाधिस्थ मुनिश्री १०८ पुष्पदन्त सागर जी महाराज
पिछले वर्ष शाश्वत सिध्दक्षेत्र सम्मेद शिखर जी में पर्वत की वंदना के वक्त समाधि हुई। मुनि श्री को कोटिशः नमोस्तु।
मुनिश्री १०८ श्रेयांस सागर जी महाराज
मुनिश्री शाहगढ़ में विराजमान हैं। सिद्धांत के मर्मज्ञ, मन्दिर निर्माण और अष्ट प्रातिहार्य में निपुण मुनिश्री के चरणों में कोटिशः नमन।
मुनिश्री १०८ पूज्य सागर जी महाराज
निर्यापक श्रमण मुनिश्री योगसागर जी महाराज के संघस्थ। वर्तमान में पूज्य गुरुदेव की वरदानी छांव नेमावर में विराजमान हैं। प्रवचन कला, नेतृत्व के धनी, युवा पीढ़ी को सन्मार्ग प्रदाता, समाजिक कुरीति के उन्मूलन में प्रवीण, वात्सल्य शिरोमणि मुनि श्री के चरणों में कोटिशः नमन।
मुनिश्री १०८ विमल सागर जी महाराज
मुनिश्री धर्म नगरी खुरई में विराजमान हैं। सौम्य मूर्ति, महातपस्वी, आध्यात्म वेत्ता, जिनशासन प्रभावक, कुशल नेतृत्व क्षमता के धनी, नवीन पीढ़ी और समाज में नई चेतना के सम्प्रवाहक, नवीन मन्दिर निर्माण में दक्ष मुनिश्री के चरणों में कोटिशः नमन।
मुनिश्री १०८ अनंत सागर जी महाराज
मुनिश्री विमल सागर जी महाराज के साथ खुरई में विराजमान। अध्ययन पठन पाठन में प्रवीण, स्वाध्याय शील, शांत साधक के चरणों में कोटिशः नमन।
मुनिश्री १०८ धर्म सागर जी महाराज
मुनिश्री विमल सागर जी के साथ खुरई में विराजमान। मौन साधक, कवि हृदय संत, बच्चों के सन्मार्ग प्रदाता मुनिश्री के चरणों में कोटिशः नमन।
समाधिस्थ मुनिश्री पूज्य शांति सागर जी महाराज
विदिशा में गुरु चरणों में समाधि पाई। ऐसे शांत स्वभावी मुनिश्री के चरणों में कोटिशः नमन।
मुनिश्री १०८ कुंथु सागर जी महाराज
मुनिश्री सिलवानी में विराजमान हैं। अनेक साहित्यों के प्रवर्धक, आकर्षक प्रवचनकार, सरल हृदय मुनि श्री के चरणों में कोटिशः नमन।
मुनिश्री १०८ अरह सागर जी महाराज
जयेष्ठ मुनिश्री प्रमाण सागर जी के साथ गुणायतन शिखर जी में विराजमान। शांत, जिज्ञासु, आत्म साधक मुनिश्री के चरणों में कोटिशः नमन।
मुनिश्री १०८ मल्लि सागर जी महाराज
जयेष्ठ श्रेष्ठ निर्यापक श्रमण श्री समय सागर जी महाराज के साथ भाग्योदय सागर में विराजमान। सरल हृदय,आत्म आराधक, स्वाध्याय शील मुनि श्री के चरणों में कोटिशः नमन।
मुनिश्री १०८ सुव्रत सागर जी महाराज
मुनिश्री नरवर शिवपुरी में विराजमान हैं। अनेकों विधान, भजन, स्तुति के रचनाकार, कवि ह्रदय वात्सल्य मूर्ति मुनि श्री के चरणों में कोटिशः नमोस्तु।
मुनिश्री १०८ नेमि सागर जी महाराज
मुनिश्री अक्षय सागर जी महाराज के संघस्थ। वर्तमान में मुनिश्री आचार्य भगवंत की छांव नेमावर में विराजमान हैं। नम्र विनम्र, सरल हृदय स्वाध्याय शील मुनिश्री के चरणों में कोटिशः नमन।
आज के दीक्षित सभी मुनि महाराज के चरणों में नमन
— शुभांशु जैन शहपुरा