शिखरजी में यात्री गायब, नक्सली तेज

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सान्ध्य महालक्ष्मी डिजीटल
पारसनाथ आजकल यात्रियों से जहां लगभग सूना पड़ा है, वहीं सीआरपीएफ से दूना हो गया है। दिसम्बर माह में शिखरजी यात्रियों से हाउसफुल रहता है, पर कोरोना की मार के बाद, लाकडाउन खुलने के बाद भी, सीमित परिवहन व्यवस्थाओं के कारण अभी भी यात्रियों के कारवें नहीं आ पा रहे हैं। पर इस बीच नक्सली बनाम सीआरपीएफ, शुरू हो गया है। इन खबरों की जानकारी शिखरजी तीर्थ की अधिकांश कमेटियां को नहीं है, पर यह मामला पूरी तरह गर्माया हुआ है।
नक्सलियों का अभेद्य किला माना जाता है पारसनाथ और इसमें उनकी चहल पहल की सुगबुगाहट सीआरपीएफ को गत सप्ताह ही मिल गई थी। इसीलिये गत 30 नवम्बर को सुबह 10 बजे पारसनाथ टोक के पास दो चक्कर लगाकर, वहां बने हेलीपेड पर हैलीकाप्टर लैंड हुआ, जिसमें झारखंड सीआरपीएफ के आईजी महेश्वर दयाल और झारखंड पुलिस आईजी साकेत कुमार सिंह पहुंचे। बढ़ती ठंड में नक्सली गतिविधियां बढ़ने की संभावनाओं पर, वहां चौकसी कर रहे जवानों का हौसला बढ़ाया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नक्सलियों के रेडकोरिडोर पर, अंकुश लगाने के लिये पारसनाथ क्षेत्र के पूर्वी-पश्चिमी छोर में बनाये जाएंगे, अर्धसैनिक बलों के कैम्प। इस आशय की खबरें वहां के स्थानीय अखबारों में सुर्खियों से छपी हैं। नक्सली मूवमेंट पर सीआरपीएफ की कड़ी नजर है और नक्सली हलचल हो रही है, इसका खुलासा तीन दिन बाद ही होने लगा। वैसे नक्सलियों ने जैन यात्रियों को कभी परेशान नहीं किया, यह तो नहीं कहा जा सकता, क्योंकि कुछ वर्ष पहले आचार्य विमल सागरजी की समाधि पर ही नक्सलियों ने यहां जैन यात्रियों के समक्ष एक जैन अधिकारी की मुखबरी के शक में सरेआम हत्या कर दी थी, फिर गुल्लक लूटने की कोशिश भी हुई। यानि उनके खिलाफ कोई छेड़खानी करने का परिणाम बुरा मिलेगा। यही नहीं, मोटी रकम की वसूली भी की जाती है, जिसके लिये कोई कमेटी मुख तो नहीं खोलती, पर परदे के पीछे का एक कड़वा सच भी है यह।
सीआरपीएफ का शक गलत नहीं था, तीन बाद ही इस पर से परदा उठ गया। पिछले एक दशक में, पहली बार भाकपा माओवादियों ने गिरडीह में मजबूत से दस्तक दी है। 02 दिसम्बर से आगामी 08 दिसंबर तक भाकपा माओवादी ने 20वीं वर्षगांठ मनाने के लिये जगह-जगह पोस्टर बैनर तक लगाये गये हैं।
सान्ध्य महालक्ष्मी ने शिखरजी की कुछ जैन धर्मशाला- कमेटियों से इस पर जानकारी चाही, तो सभी का एक मत था कि ऐसे माओवादी के पोस्टर पहले नहीं देखे या सुने थे।
ये पोस्टर 29 व 30 नवम्बर को जगह-जगह पारसनाथ की तराई के पास निमियाघाट के गांवों में जगह-जगह चिपकाये गये। हाथ से लिखे इन पोस्टरों में लिखा है कि जन मुक्ति छापामार सेवा पीएलजीए की 20वीं वर्षगांठ को पूरे इलाके में उत्साह के साथ मनायें, जल, जंगल, जमीन सहित तमाम अधिकार कायम करें, मार्क्सवाद, लेनिनवाद, माओवाद जिंदाबाद लिखा हुआ है।
पुलिस को जैसे-जैसे सूचना मिलती गई, वो पोस्टर व बैनर हटाती गई। मधुबन थाना क्षेत्र के छठ घाट व सिंहपुर के नदी के किनारे काफी मात्रा में बैनर पोस्टर मिले। बढ़ती नक्सली उपस्थिति में, पुलिस अभी तक खाली हाथ है।

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